CDS Bipin Rawat : भारतीय सेना का अपना अलग अंदाज है। चाहे बात किसी सैन्य समारोह की हो या प्रशासनिक कामकाज की। सेना का अपना अलग प्रशासनिक अमला है। सेना के अस्पताल, स्कूल, इंजीनियरिंग या निर्माण विभाग और आवासीय परिसर भी हैं। सेना के संगठन और प्रशासनिक ढांचे में समय-समय पर कई बदलाव हुए हैं l
भारत सरकार ने 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस का पद सृजित किया था। वहीं, जनवरी, 2020 में जनरल बिपिन रावत ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का कार्यभार संभाला था। सेना भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को इस बारे में पता होना बेहद आवश्यक है, ऐसी जानकारियां यहां इस खबर में दी गई है।
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CDS Bipin Rawat : देश के पहले सीडीएस बनाए गए थे जनरल बिपिन रावत
इतना ही नहीं सेना के दो भाग सशस्त्र दल और सेवा दल के काम भी पूरी तरह अलग हैं। दरअसल, कार्यकारी आधार पर सेना के दो भाग होते हैं, एक सशस्त्र दल और दूसरा सेवा दल। सशस्त्र दल में उन जवानों को लिया जाता है जो खोजी अभियान में भाग लेते हैं। जबकि सशस्त्र दल के अलावा बाकी पूरी सेना को सेवा दल के अंतर्गत रखा जाता है। इनका मुख्य काम सेना को आवश्यक रसद यानी खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना और प्रशासनिक कामकाज करना है।
सशस्त्र दल
सशस्त्र दल को तीन भागों में बांटा गया है- बख्तरबंद दल, इन्फेंट्री (पैदल सेना) और मशीनगन इन्फैंट्री। जबकि सहायक सशस्त्र दल सहायक सशस्त्र दल में निम्नलिखित विभाग शामिल होते हैं:
- तोपखाना
- इंजीनियरिंग
- एयर डिफेंस यूनिट
- विमानन सेना दल
- सिग्नल देने वाला दल
सेवा दल
उधर, सेवा दल में पहली सेवा कोर (राशन, परिवहन और क्लर्क), चिकित्सा कोर, आयुध कोर (गोला बारूद, वाहन, कपड़े और सभी उपकरण), इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (हथियारों एवं वाहनों की मरम्मत), रीमाउंट वेटनरी कोर (नए हथियार और तकनीक) और एक गुप्तचर कोर (दुश्मन के बारे में गुप्त सूचनाएं जुटाना) आदि होती हैं।
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आजादी के बाद से कई बदलाव
आजादी के बाद से भारतीय सेना में काफी कुछ बदला है। भारतीय सेना की संरचना, कोर, ब्रिगेड और बटालियन जैसे अहम जानकारियों से जुड़ीं बातें जानना जरूरी है।
अहम बदलाव:
- 1955 में, कमांडरों-इन-चीफ का नाम बदलकर थल सेना अध्यक्ष, नौसेना अध्यक्ष और वायु सेना प्रमुख के रूप में रखा गया।
- नवंबर 1962 में रक्षा उपकरणों के अनुसंधान, विकास और उत्पादन के लिए रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई थी।
- नवंबर 1965 में, रक्षा आवश्यकताओं के रक्षा आपूर्ति विभाग बनाया गया था।
- 1980 में, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग बनाया गया था।
- 2004 में, रक्षा उत्पादन और आपूर्ति विभाग का नाम बदलकर रक्षा उत्पादन विभाग कर दिया गया।
- 2004 में, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग का गठन किया गया था।
- 2019 में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस पद सृजित किया गया।
- 2019 दिसंबर में 31 तारीख को जनरल बिपिन रावत थल सेना प्रमुख के पद सेवानिवृत्त हुए थे और उन्हें 31 दिसंबर, 2019 को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था।
- 2021 में आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य अधिकारियों का निधन हो गया।
भारतीय सेना का नियंत्रण
भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं, जैसे कि सभी लोकतांत्रिक देशों में होते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को जनता द्वारा चुना गया राजनीतिक नेतृत्व यानी भारत सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री यह जिम्मेदारी संभालते हैं। रक्षा मंत्रालय कर्मियों, वित्तीय और संसाधन प्रबंधन से संबंधित मामलों को संभालता है।
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संगठनात्मक ढांचा
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सचिव यानी भारतीय रक्षा सचिव रक्षा विभाग के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त रक्षा सचिव मंत्रालय के अधीन चार विभागों रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग की गतिविधियों के समन्वय के लिए जिम्मेदार हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। 2019 में ही देश में सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित हुआ। पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था। सीडीएस रहते हुए जनरल बिपिन रावत का 08 दिसंबर, 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया।
चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी
चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के अध्यक्ष की जगह 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस पद बनाया गया था। पहले चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख होते थे और तीनों में वरिष्ठतम सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता था। जनरल बिपिन रावत के नाम देश के पहले सीडीएस और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के आखिरी अध्यक्ष होने का रिकॉर्ड दर्ज है।
सेना प्रमुख
भारतीय सेना के तीन प्रमुख अंग थल सेना (आर्मी), वायु सेना (एयरफोर्स) और नौ सेना (नेवी) हैं। सभी अंगों के अध्यक्ष उनके चीफ ऑफ स्टाफ यानी सर्वोच्च अधिकारी होते हैं। जैसे जनरल एमएम नरवणे थल सेना प्रमुख हैं जिन्हें थल सेनाध्यक्ष भी कहा जाता है।
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सेना की सात कमान
भारतीय सेना की सात कमान है। इनमें एक शिमला स्थित ट्रेनिंग कमान सेना में सभी संस्थागत प्रशिक्षण का कामकाज देखती है। हालांकि, इनके अलावा सेना की एक स्वतंत्र पैराशूट ब्रिगेड भी है। प्रत्येक कमान का अपना एक मुख्यालय होता है। सभी कमानों में अलग-अलग कोर के साथ ही तोपखाना, इन्फेंट्री, बख्तरबंद, माउन्टेन और रैपिड जैसे डिविजन, साथ ही वायु रक्षा ब्रिगेड एवं इंजीनियरिंग ब्रिगेड होते हैं।
छह ऑपरेशनल कमान
कमान | मुख्यालय | डिवीजन | कोर | ब्रिगेड |
पूर्वी कमान | कोलकाता | 10 | 03 | – |
मध्य कमान | लखनऊ | – | – | – |
उत्तरी कमान | ऊधमपुर | 07 | 03 | 01 |
दक्षिणी कमान | पुणे | 06 | 02 | 03 |
पश्चिमी कमान | चंडीगढ़ | 09 | 03 | 06 |
सेना का संगठन
सेना प्रमुख के बाद सभी छह ऑपरेशनल कमान और एक ट्रेनिंग कमान के अपने अलग प्रमुख होते हैं। ये आर्मी कमांडर कहलाते हैं। इन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ भी कहा जाता है। ये सभी लेफ्टिनेंट जनरल तीन सितारा रैंक धारक होते हैं।
ऐसे समझें संरचना :
- कोर के प्रमुख भी तीन सितारा रैंक धारक लेफ्टिनेंट जनरल होते हैं। इन्हें कोर कमांडर भी कहते हैं। एक कोर के तहत 3-4 डिवीजन होते हैं।
- डिवीजन के प्रमुख को मेजर जनरल कहते हैं। इनकी रैंक दो सितारा होती है। इन्हें डिवीजन कमांडर भी कहते हैं। प्रत्येक डिवीजन में 3-4 ब्रिगेड होती हैं। डिवीजन में करीब 15 हजार सशस्त्र सैनिक और करीब आठ हजार सहायक जवान होते हैं।
- ब्रिगेड के प्रमुख को ब्रिगेडियर कहते हैं। ये एक सितारा रैंक वाले अधिकारी होते हैं। इन्हें ब्रिगेड कमांडर भी कहते हैं। इनके तहत तीन बटालियन/रेजिमेंट और सहायक जवान एवं उपकरण होते हैं।
- बटालियन/रेजिमेंट के प्रमुख कर्नल रैंक के अधिकारी होते हैं। एक बटालियन/रेजिमेंट के तहत चार राइफल कंपनी होती हैं। बटालियन/रेजिमेंट में करीब 850 सैनिक होते हैं।
- कंपनी में तीन प्लाटून शामिल होते हैं। इसके प्रमुख को कंपनी कमांडर कहते हैं। ये लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर रैंक के अधिकारी होते हैं। कंपनी में 90 से 120 सैनिक होते हैं।
- प्लाटून/पलटन का नेतृत्व जेसीओ रैंक अधिकारी द्वारा किया जाता है। इनके तहत तीन-चार सेक्शन होते हैं।
- सेक्शन सेना की सबसे छोटी इकाई को कहते हैं। इसका नेतृत्व सेक्शन कमांडर करते हैं। इसमें हवलदार स्तर के 10 जवान होते हैं।
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